Loading
Bhagwan Dadhichi
  • Home
  • About
    • Mahrishi Dadhichi
    • Dadhimati Mata
  • Place of Worship
    • Mishrik
    • Godh Manglod
    • Parsneu Dham
  • Newsletter/ Patrika
  • Collection
    • Aarti
    • Kirtan
  • Our Pride
  • Contributors
  • Gallery
  • Menu Menu
  • Twitter
  • Dribbble

दधिमथी मातेश्वरी का छन्द

छन्द गुण दधमथ का गाता, सकल की साय करो माता । टेर।

दधिमथी मोटी महा माई, महर कर गोठ नगर आई।

गवाल्यो चरावत गाई, कहयो तुम बोलो मत भाई।

अभी मैं बाहिर जो आऊँ, लोक में सम्पत वपराऊँ।

दधिमथी बाहर निसरी, धुन्ध भई दिन रैन।

हुई आवाज सिंह की, भिंड़क भाग गई धेन।

गवालो गऊ घेर लाता, सकल की साय करो माता।

गवालो! ‘हो हो’ कर रयो, बचन देवी का भूल गयो।

तभी देवी बाहर नहीं आई, गुप्त एक मस्तक पुजवाई।

दधमथ की सेवा करे, जो कोई नर और नार।

निश्चय होकर धरे ध्यान, तो बेड़ा करदे पार।

दुख दरिद्र दुर जाता, सकल की साय करो माता। छन्द।

गोठ एक मांगलोद मांई, बिराजे दधिमथी महामाई।

जगल में देबल असमानी, उसी को जाणे सब प्राणी।

छत्र बिराजे सोहनो, चार भुजा गल हार।

कानां कुंडल झिल मिले, आप सिंह असवार ।

नोपतां बाज रही दिन राता, सकल की साय करो माता । छन्द ।

परचो एक साहुकार पायो, मात को देवल चिणवायो।

पोल ईक सूरज के सामी, कुंड का अमृत है पानी।

अधर खम्भ ऐसो बणियों, जाणत सब है जान।

कलयुग में छिप जावसी, कोई सतयुग को सेनाण।

कलयुग में करत लोग बातां, सकल की साय करो माता। छन्द।

परचो ईक पाली नो राणो, उदयपुर मेवाड़ी जाणो।

कारज उसका भी सिद्ध कीनों वचन से पुत्र देय दीनो।

सूतां सपनो आइयो, जाग सके तो जाग।

देऊँ गढ़ चित्तोड़ कास, थारे मेयूँ दिल का दाग।

द्रव्य ईक जूना भी पाता, सकल की सहाय करो माता । छन्द।

रातका राणोजी उठ जाग्यो, मात के पावां उठ लाग्यो।

मातको अखी वचन पाऊँ, देश में देवल चिनवाऊँ।

जब देवी का हुकम सूँ, आयो देश दिवाण।

मंदिर चिणवाया भूप सूं ऊँचा किया निर्माण।

कुंड के पेड़ी बंधवाता, सकल की साय करो माता। छन्द।

सेवक नित सेवा ही करता, ध्यान श्री दधिमत का धरता।

जोगण्या निरत करत भैरूँ डमाक डम बाजत है डमरूँ।

मारवाड़ के मायने प्रकट भई है गोठ।

आपो आप बिराजे जननी, बाहर निकली जोत।

जातरी रात-दिन आता, सकल की साय करो माता । छन्द।

सम्वत् है उन्नीसो दस में, छन्द गुण गायो रंग रस में।

चौथ सुद श्रावण के मासा, सकल की पूरो मन आशा।

दसरावो मेलो भरेसजी, चैत्र आयोजां मांय।

देश देश का आवें जातरी, पूरे मन की आश।

अन्न-धन दीजोजी माता, सकल की साय करो माता । छन्द।

ब्राह्मण दायमो गाता, खींवसर नगरी मं रहता।

मात को नन्द छन्द गायो, मात के चरणां चित लायो।

जो जन गावे अरु सुणे, निश दिन धरे जो ध्यान।

गरु बड़ा गुणवान है, ‘मूलचन्द’ महाराज ।

जोड़कर ‘जेठमल’ गाता सकल की साय करो माता । छन्द।

गोठ मांगलोद वाली दधिमथी माताजी की आरती

 जय गोठ नगर वाली, मैया जय गोठवाली।

 दास जनों के संकट दूर करन वाली। जय गोठ।

जय अंबे जय दधिमथी, जय जय महतारी।

 दोउ कर जोड़याँ बिनहुँ, अर्ज सुनो म्हारो। जय गोठ।

 तू ही कमला तू ही लक्ष्मी, तू ही दधिमथी थल में।

 सुमरत हाजिर होबो कष्ट हरो पल में। जय गोठ।

ध्यान धरयों राणा ने, परचो भल पायो।

 महर भई मां थारी मन्दिर चिणवायों। जय गोठ।

कुंड भरयो सागर सो, अटल जोती अम्बा।

 धजा फरूके नभ में, बिच अधर थम्भा। जय गोठ।

चैत्र आसोज नवरता, मेला हो भारी।

 आवे अधिक दायमो, जाति नर-नारी। जय गोठ।

हाथ जोड़ के हरदम, निशि वासर ध्यावें।

 छगनलाल बल दबा, सुख सम्पत्ति चावै। जय गोठ।

© Copyright -All Rights Reserved with www.mishrikdadhichi.com
  • Organ Donation
  • About us
  • Contact Us
Scroll to top