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मांग:नेहरु पार्क के सौंदर्यीकरण पर दाधीच समाज ने 15 लाख रु. खर्चे, अब महर्षि दधीचि व शिव की मूर्ति लगाने से रोका


यह स्थान महर्षि दधीचि की तपोस्थली एवं पिप्पलाद ऋषि की जन्मस्थली-तपोभूमि है। हर दाधीच बंधु को जीवन में एक बार अवश्य इस पावन स्थल पर जाकर स्नान करना चाहिए एवं वहां की रज को अपने माथे पर लगाना चाहिए।
श्रुतियों के अनुसार राजा मान्धता द्वारा निर्मित यह मन्दिर अनेक वषों तक गुप्त रहा। बाद में एक दिन इसी स्थान पर गाय चरा रहे ग्वाले को आकाशवाणी से महामाया दधिमथी ने संकेत दिया कि मैं भूमि से पुनः प्रकट हो रही हूँ|
आज भी वहां भक्तोँ के दुःख क्षणभर मेँ कट जाते हैँ । परसनेऊ धाम मेँ भव्य मेलोँ का आयोजन होता हैँ । आप सपरिवार सिद्धपीठ परसनेऊ धाम पधार कर अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करेँ व भक्ति की पावन धारा को आगे चलायेँ ।